Nazneen Yaqub – Mumbai Uncensored, 12th June 2022
बीते शुक्रवार 10 जून को दोपहर की नमाज के बाद दिल्ली, बंगाल, उत्तर प्रदेश, झारखंड में नूपुर शर्मा के खिलाफ प्रदर्शन किए गए थे। यह प्रर्दशन नुपूर शर्मा की गिरफ्तारी को लेकर किया जा रहा था। इस दौरान कई शहरों पर प्रदर्शन हिंसा में बदल गया जिसके बाद पुलिसकर्मियों ने लोगों पर आंसू गैस के गोले, लाठी चार्ज और कुछ जगहों पर फायरिंग भी की थी।
पुलिसकर्मियों द्वारा हुई फायरिंग में कई लोग गम्भीर रूप से घायल हुए तो वहीं दो लोगों ने अपनी जान गवा दी है। जिनमें से एक उम्र सिर्फ 15 साल और दूसरे की उम्र 24 साल की थी।
यह घटना झारखंड के रांची की है, जहां 15 साल के मुदस्सिर आलम के सिर में गोली लगने की वजह से मौत हो गई। मुदस्सिर अपने माता-पिता की एकलौती संतान थे। इस घटना के बाद से मुदस्सिर की मां निकहत का रो- रोकर बुरा हाल हो रखा है। मुदस्सिर का परिवार हिन्दपीढ़ी मोहल्ले में किराये के एक मकान में रहता है। जब बेटे को गोली लगी तो पिता परवेज आलम सिमडेगा में थे। बेटे के घायल होने की खबर मिलने पर वे फौरन आनन-फानन में रांची पहुंचे। जिसके बाद उन्हें बेटे की मौत का पता चला।
परवेज आलम ने मीडिया से बात चीत के दौरान बताया कि मुदस्सिर मेरा इकलौता बेटा है। ग़रीबी के कारण हम उसे ठीक से पढ़ा नहीं पाए. घर चलाने के लिए हम दोनों (बाप-बेटा) काम करते हैं। मेरा बेटा बहुत मिलन-सार था। उसे क्यों गोली मार दी। उसका क्या कसूर था।
मुदस्सिर के चाचा मोहम्मद शाहिद अयूबी असदउद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के ज़िलाध्यक्ष हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके भतीजे को पुलिस ने गोली मारी है। इसके लिए झारखंड सरकार और उसका प्रशासन ज़िम्मेवार है।
शाहिद अयूबी ने यह भी कहा कि पुलिस के लोग एके-47 और पिस्टल से गोलियाँ चला रहे थे। उन्हें हवाई फ़ायरिंग करनी चाहिए थी, लेकिन पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को निशाने पर लेकर गोलियाँ चलायीं। इसके कई वीडियो वायरल हो रहे हैं। उनमें आप पुलिसकर्मियों को सामने से गोलियाँ चलाते देख सकते हैं।
मुदस्सिर या कोई भी प्रदर्शनकारी न तो आतंकवादी था, न उग्रवादी। उन पर पुलिस ने गोलियाँ क्यों चलायी। इसका किसने आदेश दिया था। दरअसल देश के अंदर ज़हर फैला दिया गया है. हमारे नौकरशाह भी उसी मानसिकता के अधीन हो गए हैं। इस वजह से ऐसी घटनाएँ हो रही हैं।
बता दें कि प्रदर्शन के दौरान गोली लगने के बाद सभी घायलों को रांची के राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती कराया गया था, जहां संस्थान के आधिकारिक सूत्रों ने मुदस्सिर आलम और साहिल की मौत की पुष्टि की थी और 22 लोगों को घायल बताया है।
साहिल की उम्र सिर्फ 24 साल की थी उनकी मौत किडनी में गोली लगने की वजह से हुई है। साहिल की मां परवीन का एक दिन पहले ही ऑपरेशन हुआ था, डॉ ने बताया कि उनके पेट में पत्थर था। जिस कारण वह बोलने की स्थिति में नहीं है।
साहिल ने मौत से पहले अपने पिता से फोन में बात की थी। इस बातचीत में साहिल ने बताया कि मेन रोड में दंगा भड़क गया है। वह किसी तरह बच बचाकर जल्दी घर लौटेगा। थोड़ी ही देर बाद उसके दोस्त का फ़ोन आया कि साहिल को गोली लग गई है।
साहिल के पिता मो. अफजल बताते हैं कि हमलोग हर दिन कमाने-खाने वाले लोग हैं। हमें इन सब चीजों से क्या लेना देना। मेरा बेटा तो उस भीड़ में भी नहीं था, वह तो घर को लौट रहा था. अब मेरा बेटा कौन वापस देगा।
“मेरा यही कहना है कि सरकार दोषियों को सख़्त से सख़्त सज़ा दे, ताकि जिस तरह मेरा बेटा गया है, किसी ग़रीब का बेटा न जाए. यह मेरा मंझला बेटा था। उसकी शादी की योजना बना रहे थे हमलोग। लेकिन इतने दिन की ही ज़िंदगी थी उसकी। अब क्या करें।
तो वहीं साहिल के बड़े भाई मो. साकिब का कहना था कि हमें हमारा भाई लौटा दीजिए बस हमें हर हाल में इंसाफ़ चाहिए। हम तीनों भाई में केवल वही कमाता था। हेमंत सोरेन हमें इंसाफ़ दिलाएं। हवाई फायरिंग आसमान में किया जाता है, सीने में नहीं।
आपको बता दें कि दोनों मासूमों का परिवार निम्र आय वर्ग से आता हैं। मुदस्सिर के पिता दिहाड़ी मजदूर हैं, तो साहिल के पिता ऑटो ड्राइवर दोनों परिवार पर दुखों माहौल छा रखा है।