Nazneen Yakub – Mumbai Uncensored, 3rd June 2022
वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर राजनीतिक सियासत में काफी समय से हलचल हो रखी है, जिसको लेकर आए दिन टिप्पणियां की जा रही हैं।
हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने ज्ञानवापी मस्जिद के मामले को लेकर कहा है, “ज्ञानवापी का मुद्दा चल रहा है। इतिहास तो है जिसे हम बदल नहीं सकते। इसे न आज के हिंदुओं ने बनाया और न ही आज के मुसलमानों ने, ये उस समय घटा।”
“इस्लाम हमलावरों के जरिए बाहर से आया था। उन हमलों में भारत की आज़ादी चाहने वालों का मनोबल गिराने के लिए देवस्थानों को तोड़ा गया। हिंदू समाज का ध्यान जिन पर है, विशेष श्रद्धा जिन पर है, उसके बारे में मामले उठते हैं। लेकिन हिंदू, मुसलमानों के विरुद्ध नहीं सोचता है। आज के मुसलमानों के उस समय पूर्वज भी हिंदू थे। उन सबको स्वतंत्रता से चिरकाल तक वंचित रखने के लिए उनका मनोधैर्य दबाने के लिए ऐसा किया गया इसलिए हिंदुओं को लगता है कि इन्हें (धार्मिक स्थलों को) पुनर्स्थापित किया जाना चाहिए।”
इसके अलावा उन्होंने यह भी बोला कि आपस में मिल बैठ कर सहमति से कोई रास्ता निकालिए। लेकिन हर बार नहीं निकल सकता। इसमें कोर्ट में जाते हैं, जाते हैं तो फिर कोर्ट जो निर्णय देगा उसको मानना चाहिए। अपनी संविधान सम्मत न्याय व्यवस्था को सर्वश्रेष्ठ मानकर, उसके फ़ैसले मानने चाहिए, उनके निर्णयों पर प्रश्नचिह्न नहीं लगाना चाहिए।
गौरतलब है कि ज्ञानवापी मस्जिद के मुद्दे लेकर हिन्दू पक्षकारों ने दावा किया है कि मस्जिद में शिवलिंग मौजूद हैं, तो वहीं मुस्लिम समाज के लोगों ने इसे वजूखाना बताया हैं। इस मुद्दे को लेकर मामला कोर्ट में चल रहा है।